Religion

जैन सिद्धांतों का पालन करने से आत्मकल्याण होता है -विमर्षसागर

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मनोज नायक

मुरैना , जैन कुल में जन्म लेना सरल है, लेकिन जैन सिद्धांतों का पालन करना कठिन हैं । परिवार का सदस्य बनना सहज है, लेकिन श्रावक बनना कठिन हैं । आप सभी जिनेन्द्र प्रभु की वाणी को पड़ते तो हैं, साधुओं के प्रवचनों को सुनते तो हैं, लेकिन उन्हें अपने आचरण में स्वीकारते नहीं हैं । जिस दिन आपने जैन सिद्धांतों को स्वीकार कर लिया, जिनेन्द्र प्रभु की वाणी को आत्मसात कर लिया, समझो आपका कल्याण हो गया । ये मानव जीवन और वो भी जैन कुल में, अनेकों जन्मों के पुण्य से मिला है, इसे व्यर्थ नहीं गवाना चाहिए । उक्त उद्गार भावलिंगी जैनाचार्य श्री विमर्शसागर जी महाराज ने ज्ञानतीर्थ मुरेना में धर्म सभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए ।
पूज्य आचार्य संघ की अगवानी के लिए ज्ञानतीर्थ परिवार एवम मुरेना जैन समाज के बंधु बैरियर चौराहे पर एकत्रित हुए । सभी ने आचार्य श्री की आरती उतारकर अगवानी की । बैरियर चौराहे से गाजे बाजे के साथ भव्य शोभायात्रा के रूप में गुरुदेव का ज्ञानतीर्थ में भव्य मंगल प्रवेश हुआ । ज्ञानतीर्थ के प्रवेश द्वार पर रंगोली और चौक बनाया गया । सिर पर मंगल कलश रखकर सौभाग्यवती महिलाओं ने आरती उतारकर आचार्य संघ की अगवानी की ।
बुंदेलखंड के प्रथमाचार्य गणाचार्य श्री विरागसागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य आचार्य श्री विमर्शसागर जी महाराज ससंघ का मंगल पद विहार अतिशय क्षेत्र तिजारा की ओर चल रहा है । पद विहार के दौरान आचार्यश्री आज अपने 27 पिच्छिकाओं सहित ज्ञानतीर्थ पधारे । पूज्य आचार्य संघ के पावन सान्निध्य में ज्ञानतीर्थ पर विराजमान मूलनायक भगवान आदिनाथ की शांतिधारा की गई । पूज्य आचार्य श्री का पाद प्रक्षालन रमेशचंद जैन मुरेना ने किया । सभी उपस्थित श्रद्धालुओं ने अष्ट द्रव्य से आचार्य श्री की पूजन की । धर्म सभा के दौरान प्रधान संपादक जगदीश चंद जैन के नेतृत्व में आगरा परिषद ने, धौलपुर जैन समाज एवम ज्ञानतीर्थ परिवार ने श्रीफल अर्पित किया ।
ज्ञातव्य हो कि आचार्य श्री विमर्शसागर जी महाराज का चतुर्मास जतारा में हुआ था । अब तिजारा की ओर मंगल पद विहार चल रहा है । धर्म सभा का संचालन ब्रह्मचारिणी बहिन अनीता दीदी ने किया ।

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