मध्य प्रदेश के विधान सभा चुनाव नतीजों का इंतजार करने के दरम्यान, एक अभियान ‘कानून सखी हॉटलाइन’ की जरूरत
न्गुवु चेंज लीडर कांक्षी अग्रवाल ने महिलाओं के लिए वन-स्टॉप कानूनी हेल्पलाइन मांगी
मध्य प्रदेश द्वारा हालिया चुनाव नतीजों की तैयारी किए जाने के दरम्यान, कांक्षी अग्रवाल ने भारत में महिलाओं के लिए ‘कानून सखी हॉटलाइन’ स्थापित करने की जोरदार मांग उठाई है। न्गुवु चेंज लीडर और एनईटीआरआई फाउंडेशन की संस्थापक होने के नाते, उनको पक्का यकीन है कि जब-जब भारतीय महिलाओं के बीच कानूनी जागरूकता की बात उठी है, तब-तब एक व्यापक कानूनी सूचना हेल्पलाइन की कमी बेहद खलती रही है।
लगभग 13,000 से अधिक नागरिकों के हस्ताक्षर वाली अपनी ऑनलाइन याचिका में, कांक्षी ने राष्ट्रीय महिला आयोग, मध्य प्रदेश राज्य महिला आयोग, नौकरशाहों और राजनेताओं से उन संसाधनों का उपयोग करके बेहद जरूरी हॉटलाइन स्थापित करने का आग्रह किया है, जिनका मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों में निर्भया फंड से कथित तौर पर बहुत कम उपयोग किया गया है। उन्होंने 2019 के दौरान राजनीति में महिलाओं के लिए बराबरी हासिल करने, नीतिगत निर्णय लेने और बड़े पैमाने पर समाज में महिलाओं की लड़ाई लड़ने के इरादे से एनईटीआरआई फाउंडेशन शुरू किया था।
कांक्षी की याचिका में कानूनी, संवैधानिक व नागरिक अधिकारों के बारे में महिलाओं की जानकारी के अभाव को उजागर किया गया है, और अनुमान लगाया गया है कि यदि ट्रॉमा की पूर्ण जानकारी वाले संचार के प्रोटोकॉल में प्रशिक्षित पैरालीगल और कानूनी स्टाफ द्वारा संचालित हॉटलाइन सेवा, फ़ोन के माध्यम से हफ्ते के सातों दिन उपलब्ध करा दी जाए, तो 70 करोड़ भारतीय महिलाओं को लाभ होगा।
कांक्षी का कहना है, “अधिकांश महिलाओं की फीस न लेने वाले वकीलों तक पहुंच नहीं बन पाती है, तथा यूँ ही ही सुझाए गए वकील हमेशा भरोसेमंद नहीं होते। सरकार द्वारा संचालित कोई एकल, टोल-फ्री नंबर मौजूद ही नहीं है जो कमजोर व असुरक्षित महिलाओं को उनकी जरूरत वाली जानकारी मुहैया करा सके। मुझे उम्मीद है कि मध्य प्रदेश में चुनावों के बाद सभी दलों के नेता, महज प्रतीकवाद से आगे जाकर, महिलाओं के अधिकारों को एक महत्वपूर्ण एजेंडा के रूप में समझेंगे।”
कांक्षी ने कानूनी पेचीदगियों के बारे में खुद जानने का फैसला उस वक्त किया था, जब एक रात उन्होंने देखा कि तीन पुलिसवाले एक परेशान महिला ड्राइवर की कार को घेरे हुए हैं, और उसे पुलिस स्टेशन चलने को मजबूर कर रहे हैं। वह महिला, बस अपना ड्राइविंग लाइसेंस नहीं दिखा पा रही थी। कांक्षी बीचबचाव करना चाहती थीं, लेकिन कानूनी जानकारी की कमी के चलते वह ख़ुद को लाचार पा रही थीं।
2023 में महिला आरक्षण विधेयक पारित होने के साथ, अधिकाधिक महिलाओं का प्रवेश और निर्वाचित होना तय है। जब महिलाएं कानून बनाने वाले पदों पर बैठने जा रही हैं, तो इसे हासिल करने के लिए कानूनी शिक्षा और ‘कानून सखी’ के माध्यम से पहुंच बनाना अपरिहार्य हो गया है।