ऑपरेशन के बाद सुनने और बोलने लगी दो वर्ष की मदिहा
किसी भी परिवार में मूक बधिर बच्चे का जन्म हो जाए तो परिवार पर मानो दुखों का पहाड़ टूट पड़ता है। परिवार मूक बधिर बच्चे के भविष्य और आगे के जीवन को लेकर चिंतित हो जाता है। ऐसा ही कुछ इंदौर के चंदन नगर निवासी श्री गुलफाम शेख के साथ हुआ। जिनके यहां बेटी का जन्म हुआ। बड़े ही प्यार और अरमानों के साथ बेटी का नाम मदिहा फातिमा रखा गया लेकिन बच्ची जैसे-जैसे बड़ी होने लगी परिवारजनों ने एक बात को महसूस किया कि नन्हीं मदिहा आवाज सुनकर कोई प्रतिक्रिया नहीं कर रही थी। बोलने में दौरान भी कोई विशेष हाव-भाव नहीं दे रही थी। परिवार जनों की चिंता एकाएक बढ़ गई और तत्काल बच्ची को चिकित्सकों को दिखाया गया। तब चिकित्सकों ने बच्ची के मूक बधिर होने की संभावना व्यक्त करते हुए बच्ची के बड़े होने पर और स्थिति पता चलने की बात कही।
इसी दौरान चन्दन नगर स्थित आंगनवाडी केन्द्र पर राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) दल के नियमित निरीक्षण और बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण के दौरान नन्ही मदिहा की स्क्रीनिंग की गई। इसी दौरान दल को जानकारी मिली की बच्ची जन्म से सुन और बोल नहीं पा रही है। बच्ची के माता-पिता को जिला चिकित्सालय इंदौर स्थित जिला शीघ्र हस्तक्षेप केंद्र इंदौर में काउंसलिंग के लिए बुलाया गया। यहां बच्ची का पंजीयन और मुख्यमंत्री बाल श्रवण योजना अंतर्गत चिन्हित चिकित्सालय में ऑपरेशन के लिए रेफर किया गया, जहां बच्ची की समस्त स्वास्थ्य जांच निःशुल्क की जाकर शल्य क्रिया की गई। 2 वर्ष की नन्ही मदिहा का सफल ऑपरेशन हुआ और वर्तमान में उसका ऑडियो-वीडियो थेरेपी के माध्यम से इलाज जारी है। नन्हीं मदिहा धीरे-धीरे बोलने और सुनने लगी है। बच्ची के इलाज में करीब साढ़े 6 लाख रुपये का खर्च हुआ, जो कि मुख्यमंत्री बाल श्रवण योजना से संभव हुआ है। बच्ची के पिता गुलफाम शेख कहते है कि मुख्यमंत्री बाल श्रवण योजना से मेरी बेटी को नया जीवन मिला है। उन्होंने प्रधानमंत्री जी एवं मुख्यमंत्री जी का आभार व्यक्त करते हुए राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम को उनकी बेटी को नया जीवन प्रदान करने वाली योजना बताया।
नन्हीं मदिहा का इलाज हुआ वह राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम यह है
आरबीएसके अंतर्गत बाल स्वास्थ्य जांच एवं आरंभिक उपचार सेवाओं के लिए चयनित स्वास्थ्य दशाएँ (4 डी) में प्रमुख है। जन्म से विकृति दोष में न्यूरल ट्यूब विकृति, डाउन्स सिन्ड्रोमकटे होंठ एवं तालु, केवल कटे तालु, टैलिप्स (क्लब फुट), कूल्हे (हिप्स) का ठीक से विकास न होना (डिस्प्लेसिया), जन्मजात मोतियाबिंद, जन्मजात बहरापन, जन्मजात हृदय रोग, दृष्टिपटल विकृति (समय से पहले जन्म लिए शिशुओं में आंखों के अपरिपक्व पर्दे की समस्या) का चिन्हांकन किया जाता है। पौष्टिकता के अभाव में रक्ताल्पता विशेष रूप से गंभीर रक्ताल्पता, विटामिन ए की कमी (बाइटॉट स्पॉट), विटामिन डी की कमी (रिकेट्स), गंभीर कुपोषण, घेघा आते है। बाल्यावस्था के रोग में त्वचा के रोग (स्केबीज, फंगल संक्रमण एवं एक्जिमा), ओटाइटिस हृदय रोग, रूमेटिक हृदय रोग, बच्चों के दमे की शिकायत, दंत क्षय, मिर्गी अथवा ऐठन विकार आते है। विकास संबंधी देरी एवं विकलांगता में दृष्टि दोष, श्रवण दोष, न्यूरो-मोटर दोश, हाथ-पैर को चलाने में देरी, बोध ज्ञान में विलंब, देरी से बोलना, ऑटिज्म आत्मकेंद्रित विकार (शुरुआत में 3 साल की उम्र से पहले आत्मकेंद्रित होना, सामाजिक संपर्क अथवा आदान-प्रदान में कमी, स्कूली बच्चों में नई चीजें सीखने की अक्षमता, ए.डी.एच.डी. स्कूल में ध्यान केंद्रित ध् ध्यान देने अथवा व्यवहार को नियंत्रित करने में कठिनाई एवं हमेशा अतिसक्रियता होना (अधिक गतिविधि), अन्य जन्मजात हाइपोथायरायडिज्म, सिकल सेल एनीमिया, बीटा थैलेसीमिया (वैकल्पिक), टीबी एवं लेप्रोसी है। 4 डी से प्रभावित बच्चों का चिन्हांकन आंगनवाडी केन्द्र, आरबीएसके विकासखंड एवं जिला स्तर पर चिकित्सालय में किया जाता है। यहां प्रभावित बच्चों की स्वास्थ्य जांच, उनके उपचार हेतु आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित की जाती है। 4 डी में से किसी भी रोग से प्रभावित बच्चों के इलाज के लिए आरबीएसके की विकासखंड अथवा जिला स्तरीय यूनिट पर संपर्क कर प्रभावित बच्चे को स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ मिलता है।