गरीब मुसलमानों के हक में है नया वक्फ संशोधन कानून
डॉ हरिकृष्ण बड़ोदिया
दुनिया जानती है कि मोदी सरकार ऐसा कोई काम नहीं करती या उसने अब तक नहीं किया जिसने जन आकांक्षाओं की पूर्ति न की हो। विपक्ष भले ही हो हल्ला मचाए और हर एक मामले में मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा करे लेकिन उसके समझदार नेता यह जानते हैं कि अब तक जो भी फैसले मोदी सरकार ने किए हैं वे सब लोकहित में किए गए ना कि व्यक्तिगत फायदे के लिए। यह ऐसी सरकार है जो देश के हित में काम करती है और कैसे करना है जानती है। इतिहास गवाह है कि विपक्ष मुखर होकर नोटबंदी की आलोचना करता रहा और उसे बेकार बताता रहा लेकिन वह यह स्वीकार करने में हमेशा कतराता रहा कि नोटबंदी के पहले नकली नोटों के कारोबार से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पटरी पर थी लेकिन जब से नोटबंदी हुई है पाकिस्तान के हाथ में भीख का कटोरा आ गया। यही नहीं धारा 370 को हटाने की बात आई तो कांग्रेस सहित पूरा विपक्ष विरोध में खड़ा हो गया। किसी ने कहा देश में आग लग जाएगी तो किसी ने कहा कश्मीर में तिरंगा उठाने वाला कोई हाथ नहीं रहेगा। लेकिन दृढ़ संकल्पित मोदी सरकार ने इसे हटाकर ऐसी स्थितियां पैदा कर दी कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी कश्मीर में बर्फबारी के दौरान बर्फ के गोलों से अठखेलियां करते नजर आए। रात के 11:00 बजे के बाद राहुल गांधी श्री नगर के एक रेस्टोरेंट में आइसक्रीम खाते नजर आए। आज वहां पर्यटकों की भीड़ है। यही नहीं पत्थरबाजी बंद है। आतंकवादियों का धीरे-धीरे सफाया हो रहा है। उच्च शिक्षा संस्थानों तथा स्कूलों में बिना किसी बाधा के छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। हुर्रियत कांफ्रेंस का अता पता नहीं है। इसी तरह तीन तलाक के कानून ने मुस्लिम महिलाओं के हित में जो काम किया है वह किसी से छुपा नहीं है। ऐसा इसलिए कि मोदी सरकार ने दृढ़ संकल्पित होकर लोकहित में निर्णय लिए। यही नहीं नागरिक संशोधन कानून का भी खूब विरोध हुआ लेकिन वह भी सारे विरोध के बावजूद अब लागू है। जो लोग चिल्लाते थे मुसलमानों की नागरिकता छिन जाएगी उनके मुंह पर ताला लग गया। कोई बड़ी बात नहीं कि आने वाले समय में यूनिफॉर्म सिविल कोड और वन नेशन वन इलेक्शन कानून अस्तित्व में आ जाएं। बस एक मौके पर विपक्ष अपनी चाल में कामयाब हो गया वह था कृषि कानून जिन्हें वापस लेने को मोदी को मजबूर होना पड़ा। हालांकि उन तीन कृषि कानून के लागू होने पर छोटे, मध्यम और बड़े सभी किसानों को फायदा मिलता लेकिन विपक्ष द्वारा फैलाया गए झूठ और भ्रम की वजह तथा कट्टरवादियों के उग्र प्रदर्शन को देखते हुए मोदी सरकार की मजबूरी रही कि उसे वापस लेना पड़ा। जो भी हो मोदी ऐसी मिट्टी के बने हैं जिन्होंने कभी हार नहीं मानी। जब वक्फ संशोधन बिल संयुक्त संसदीय समिति को अगस्त 2024 में विचारार्थ भेजा गया था तब से ही न केवल इसका विरोध चरम पर पहुंच गया था बल्कि प्रस्ताव को खारिज कराने के लिए विपक्ष का सारे प्रयत्नों के साथ मुसलमानों को भड़काने का काम जारी हो गया था। विपक्ष को लग रहा था कि टीडीपी और जेडीयू या लोक जनशक्ति (रा) या रालोद अपने मुस्लिम वोटों की नाराजी से बचने के लिए इस बिल का समर्थन नहीं करेंगे। लेकिन यह उल्लेखनीय तथ्य है कि 2014 या 2019 में जो भी बिल आए उनमें लोकसभा में भाजपा को बहुमत होने के कारण इस सदन में स्वीकृत होने में कोई परेशानी नहीं हुई थी लेकिन इन दोनों कार्यकाल में राज्यसभा में बहुमत न होने के बाद भी बिलों का पास होना यह साबित करता है कि जिन राजनीतिक दलों ने राज्यसभा में समर्थन किया और कानून बनाने में मदद की वे इन बिलों के लोकहित में होने में कभी भ्रमित नहीं हुए। ये दल जानते थे कि मोदी जो काम कर रहे हैं वह आम जनता की भलाई के लिए ही कर रहे हैं। ठीक इसी तरह अभी-अभी जो वक्फ बिल संसद में पास हुआ उसके संबंध में तो इस आशंका से किसी को इनकार नहीं हो सकता था कि विपक्ष के जो दल टीडीपी और जेडीयू सरकार के साथ हैं यदि वह भी मुस्लिम तुष्टिकरण के जाल में फंस गए होते तो यह बिल लोकसभा में 232 के मुकाबले 288 वोटो से पास ना होता इसी तरह राज्यसभा में भी यह बिल 95 के मुकाबले 128 मतों से पास नहीं होता। इस बिल पर इंडी गठबंधन के सदस्य दलों का विरोध चरम पर था और वह चाहते थे कि टीडीपी और जेडीयू भी इस बिल का विरोध कर इसे पास न होने दें। हालांकि यह दोनों दल मुस्लिम वोटो का समर्थन पाने वाले दल ही हैं लेकिन ये जानते ही नहीं मानते भी हैं कि वक्फ संशोधन से आम गरीब, मजलूम मुसलमानों को फायदा होने वाला है। जो पैसे वाले संभ्रांत और रसूखदार मुसलमान हैं वह इसका विरोध इसलिए कर रहे हैं कि उन्होंने कई बहुमूल्य संपत्तियों पर आधिपत्य जमा रखा है। इन लोगों ने कौड़ी मोल किराए पर करोड़ों की संपत्ति 100 साल के लिए लीज पर ले रखी है और कई रसूखदारों ने अरबों रुपयों की संपत्ति न्यूनतम दामों पर लेकर मॉल और फाइव स्टार होटल बनाकर अपना मुस्तकबिल पुख्ता किया है। इससे उन गरीब मुसलमानों का कोई भला नहीं हुआ जिनके नाम पर कोई संपत्ति वक्फ की जाती है। ये सक्षम मुसलमान सही मायनों में गरीबों का हक छीनने वाले राजनीतिक मुसलमान हैं। लेकिन वक्फ संशोधन कानून 2025 अब ऐसा होने नहीं देगा। यही एक चिंता है जो संपन्न मुसलमानों, मौलवियों और धर्म के ठेकेदारों को खाए जा रही है इसलिए इस कानून का यह कहकर कि यह कानून मुसलमानों की मस्जिद तोड़ेगा, दरगाहें तोड़ेगा और कब्रिस्तान की जमीनें छीन लेगा भोले और कमजोर मुसलमानों को भड़का रहे हैं। जबकि सच्चाई यह है कि अस्तित्व में आए नए कानून से उन्हें अवैध कब्जाई संपत्तियों से हाथ धोना पड़ सकता है। वहीं दूसरी ओर जो राजनीतिक दल चाहे वह कांग्रेस हो या सपा या तथाकथित सेकुलर छोटी-छोटी विपक्ष की पार्टियां हों वे इसलिए विरोध कर रही हैं कि अमीर मुसलमान और मौलवियों को अपने पक्ष में कर वे गरीब मुसलमानों को फतवा दिलवा कर वोट पाती हैं। ये पार्टियों डरी हुई हैं कि अब गरीब मुसलमान कहीं मोदी के पक्ष में खड़ा ना हो जाए। यही कारण है कि इन दलों ने बिल का पुरजोर विरोध किया। लेकिन वे भूल जाते हैं कि मोदी किसी को व्यक्तिगत लाभ देने के लिए काम नहीं करते। मोदी सरकार कांग्रेस या सपा या आम आदमी पार्टी की सरकार नहीं है जो कई बार चुनाव के मौके पर कभी कब्रिस्तान के नाम पर तो कभी मस्जिद के नाम पर सरकारी जमीन को खैरात में देते रहे हैं। सच्चाई तो यह है कि आम मुसलमान को अपनी उंगली पर नचाने वाले रसूखदार मुसलमान इस कानून के आने से बिलबिला रहे हैं। ये पूरे मुस्लिम समाज को यह कहकर भ्रमित कर रहे हैं कि सरकार मुसलमानों की जमीन हड़पना चाहती है। हमारी मस्जिदों को तोड़ दिया जाएगा मुसलमानों को जमीन से बेदखल कर दिया जाएगा। भड़काया जा रहा है कि मुसलमानों के धार्मिक अधिकारों को छीनने की कोशिश की जा रही है। इस सब का जवाब देते हुए गृहमंत्री ने दो टूक कहा कि मुसलमानों के हित की अनदेखी किसी भी कीमत पर नहीं होगी। सच्चाई यह है कि यह कानून मुसलमानों की 80 प्रतिशत से अधिक आबादी के आर्थिक हितों का संरक्षण करेगा। इस कानून का उद्देश्य धार्मिक अधिकारों में दखल नहीं बल्कि गरीब मजलूम और अमन पसंद मुसलमानों को उनके हिस्से का हक दिलवाने के लिए है जिन संपत्तियों पर राजनीतिक मुसलमान कुंडली मारकर बैठे हैं। आम मुसलमानों को समझना होगा कि मोदी सरकार ने अपने फायदे के लिए वक्फ कानून में संशोधन नहीं किया बल्कि आम मुसलमानों के फायदे के लिए किया है। यह कानून जिन लोगों ने वक्फ की जमीन पर अवैध रूप से कब्जा कर रखा है जो उसकी संपत्ति से होने वाली आय पचा जाते हैं यह कानून ऐसे भ्रष्टाचारियों को गरीब मुस्लिम तबके के विरुद्ध होने वाले कामों को रोकने के लिए है। जो राजनीतिक मुसलमान कानून के विरोध में चिल्ला चिल्ला कर देश के सारे मुसलमानों को भड़का रहे हैं उन्हें इनकी रणनीति को समझना होगा। यह विरोध सामान्य मुसलमानों के हितों के लिए नहीं बल्कि रसूखदारों के हित के लिए किया जा रहा है।
