आपदा में अवसर तलाशता देश का विपक्ष
डॉ. हरिकृष्ण बड़ोदिया
बदला लेने की आग में देश का हर नागरिक इतना जल रहा है कि वह और इंतजार करने की मानसिकता से समझौता नहीं कर पा रहा। देश के हर नागरिक की जुबान पर एक ही बात है कि पाकिस्तान को पहलगाम हमले की इतनी बड़ी सजा दी जाए कि पाकिस्तान नेस्तनाबूत हो जाए। हम सब जानते हैं की एयर स्ट्राइक और सर्जिकल स्ट्राइक के बाद या 1965, 1971 और 1999 के युद्ध में पराजय के बाद भी पाकिस्तान की ज्यादतियों में कोई परिवर्तन नहीं आया। भुखमरी से जूझ रहा पाकिस्तान आज भी आतंकवादियों को उसी तरह पाल रहा है जैसा पहले पाला करता था। नियंत्रण रेखा पर उत्पात, गोलीबारी, घुसपैठ और भारत के जम्मू कश्मीर में आतंकवाद पर वह कभी पीछे नहीं रहा। यह तो 2014 के बाद की स्थिति है कि जम्मू कश्मीर को छोड़कर शेष भारत में वह आतंकी गतिविधियां संचालित नहीं कर पाया क्योंकि मोदी सरकार ने उसकी नकेल कस रखी है। यह भी एक सच्चाई है कि जम्मू कश्मीर में यदि आतंकवादी गतिविधियां जारी हैं तो उसका एक कारण वहां की सियासी पार्टियों का पाकिस्तान प्रेम और स्थानीय लोगों का आतंकियों को मदद करना है अन्यथा कोई कारण नहीं था कि वहां भी आतंकवादियों को अपनी गतिविधियों को संचालित करने में दस बार सोचना पड़ता। पहलगाम हमले की जैसे-जैसे परतें खुल रही हैं वैसे-वैसे स्पष्ट हो रहा है कि आतंकवादियों को ओवर ग्राउंड वर्कर्स की मदद मिली जिससे वह सफलतापूर्वक अपनी घिनौनी गतिविधि संचालित कर पाए। अगर स्थानीय लोगों की आतंकवादियों को मदद न मिलती और सुरक्षा व्यवस्था चाकचौबंद होती तो इतनी हत्याएं नहीं हो सकती थीं। दुनिया के हर देश ने इस आतंकी घटना की भर्त्सना की है। यह भारत सरकार और मोदी की बड़ी सफलता ही है कि चीन और तुर्किए को छोड़कर दुनिया का कोई भी देश आज पाकिस्तान के साथ खड़ा नहीं है। अमेरिका, इजराइल, रूस, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जापान, यूएई, सऊदी अरब, ब्रिटेन, जर्मनी और इटली जैसे अनेक शक्तिशाली देश आज भारत के साथ खड़े हैं क्योंकि उनका मूल मकसद आतंकवाद के विरुद्ध विश्व स्तर पर एकजुटता है। पाकिस्तान एक ऐसा समस्या राष्ट्र है जिसने कंगाली के बावजूद आतंक का रास्ता नहीं छोड़ा। भारत एक उत्तरदाई राष्ट्र है जो सहिष्णुता और सह अस्तित्व में विश्वास करता है। यदि भारत की जगह इजरायल जैसा कोई राष्ट्र पाकिस्तान का पड़ोसी होता तो पाकिस्तान कब का नेस्तनाबूत हो जाता। लेकिन अब और नहीं। पाकिस्तान ने पहलगाम में आतंकी हमला कर भारत की सहिष्णुता को ललकारा है जिसका परिणाम तो पाकिस्तान को भुगतना ही होगा। पहलगाम की घटना 22 अप्रैल को घटी थी जब पाकिस्तान के आतंकवादियों ने 26 हिंदुओं को उनका धर्म पूछ कर हत्या की थी। वैसे इसमें कोई शक नहीं कि पहले भी ये आतंकवादी हिंदुओं को निशाने पर लेते रहे हैं लेकिन इस बार वे खुलकर पूछ पूछ कर हिंदुओं की हत्या कर रहे थे। यह निश्चित ही सोची समझी रणनीति के तहत हुआ। पाकिस्तान चाहता था कि भारत के मुसलमान खुश होंगे और देश सांप्रदायिकता की आग में जल उठेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ क्योंकि देश का मुसलमान हिंदूत्ववादी ताकतों का कितना भी विरोधी क्यों ना हो लेकिन जब देश की एकता और अखंडता की बात हो तो वह एकजुट दिखता ही नजर आता है। इसका मतलब यह भी नहीं की मोदी विरोधी सभी दल और फिरके पाकिस्तान के विरोधी हैं। इस भीषण आतंकी हमले के बावजूद जिसमें 26 हिंदुओं की जानें गईं आज भी देश में पाकिस्तान के साथ प्रेम और सहानुभूति रखने वाले लोगों की कमी नहीं है। यूं तो ऑल पार्टी मीटिंग में देश के हर राजनीतिक दल ने मोदी सरकार के साथ खड़े होने की बात कही लेकिन गाहे बगाहे इन राजनीतिक दलों के नेताओं के बयान पाकिस्तान को कवर फायर देते नजर आ रहे हैं। इनमें सबसे आगे कांग्रेस सहित इंडी एलायंस के कई दल हैं जो लगातार पाकिस्तान के प्रति न केवल सहानुभूति दिखा रहे हैं बल्कि भारत की सेना का मनोबल तोड़ने का काम कर रहे हैं। कई नेताओं ने तो अपने देश विरोधी बयानों से इतनी सुर्खियां बटोरी कि वे पाकिस्तानी मीडिया की हेडलाइन बन गए। पाकिस्तान में लगातार इस बात की चर्चा है कि भारत में मोदी विरोधी विपक्ष मोदी के साथ नहीं है। ये बयान मोदी द्वारा पाकिस्तान के विरुद्ध लगाए गए प्रतिबंधों का खुलकर विरोध करते नजर आ रहे हैं। मोदी ने जिन महत्वपूर्ण निर्णयों से पाकिस्तान की नींद हराम कर रखी है उनमें सबसे महत्वपूर्ण निर्णय सिंधु नदी जल समझौते का निलंबन है जिससे पाकिस्तान बूंद बूंद पानी के लिए तरस जाएगा। इसी तरह भारत ने आयात प्रतिबंधों, पाकिस्तानी नागरिकों को भारत छोड़ने का आदेश, बाघा बॉर्डर बंद करने, डाक पार्सल के लेनदेन पर प्रतिबंध जैसे अनेक प्रतिबंध लगाकर पाकिस्तान की कमर तोड़ने का काम किया है। लेकिन भारत में बैठे पाकिस्तान के प्रति सहानुभूति रखने वाले लोग परेशान हैं और पाकिस्तान की भाषा बोलते देखे जा रहे हैं। जमीयत उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष अरशद मदनी ने एक बड़ा बयान देकर पाकिस्तान का पक्ष लिया उन्होंने कहा मुझे लगता है नियम प्रेम का होना चाहिए ना कि नफरत का। देश में जीवन बिताने वाले एक मुस्लिम के रूप में मैं जानता हूं कि यहां जिन चीजों को बढ़ावा दिया जा रहा है वे देश के लिए सही नहीं हैं। अगर कोई पानी रोकता है तो रोकने दो। ये नदियां हजारों सालों से बह रही हैं आप उनका पानी कहां ले जाएंगे, यह आसान नहीं है। कोई मदनी साहब से पूछे कि पहलगाम में हिंदुओं की हत्या करते समय आतंकी और उनके आका प्रेम का इजहार कर रहे थे नफरतों का नहीं। आपकी नजर में क्या पानी रोकना तो नफरत का इजहार है और हिंदुओं की हत्या करना प्रेम का इजहार है। कांग्रेस के एक और प्रथम परिवार के दामाद रॉबर्ट वाड्रा ने तो खुलकर पाकिस्तान का समर्थन करते हुए पाकिस्तान की भाषा बोलते हुए कहा पहलगाम में गैर मुसलमान (हिंदुओं) को इसलिए मारा गया कि आतंकवादियों को लगता है कि मुसलमानों के साथ भारत में दुर्व्यवहार किया जा रहा है। वाड्रा के इस बयान ने देश में मुस्लिम समुदाय में हिंदुओं के प्रति नफरत फैलाने का काम किया। एक तरफ तो कांग्रेस कहती है कि हम पाकिस्तान के विरुद्ध सरकार के हर फैसले में साथ हैं तो दूसरी तरफ उनके नेता भारत विरोधी बयान देते हुए दिखाई दे रहे हैं। उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय की तो बात ही निराली है। वे पाकिस्तान मीडिया में सुर्खियां बटोरने में अब्बल आए हैं। उन्होंने वाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर देश विरोधी बयान देकर देश की सरकार और मोदी के प्रति अपनी नफरत का इजहार तो किया ही भारत की सेना का मनोबल तोड़ने का काम भी किया। अजय राय ने लड़ाकू जहाज राफेल का मजाक उड़ाते हुए एक एयरक्राफ्ट जैसे टॉय खिलौने में नींबू मिर्ची बांधकर दिखाते हुए प्रेस से कहा कि राफेल लड़ाकू विमान पर नींबू मिर्ची लटका कर हवाई अड्डों पर खड़े कर दिए हैं। यह रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा राफेल की पूजा की भारतीय संस्कृति का मजाक उड़ाना नहीं है तो क्या है। निश्चित ही यह कृत्य किसी भी दशा में कांग्रेस को लाभ नहीं पहुंचा सकता। इसी तरह पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और सांसद चरणजीत सिंह चन्नी ने भी सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाते हुए कहा कि हमारे देश में कोई बम गिरे तो क्या हमें पता नहीं चलेगा। कहते हैं हमने पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक किया परंतु यह किसी को पता नहीं चला। कुछ नहीं हुआ। कहीं कोई सर्जिकल स्ट्राइक नहीं हुई। इसी तरह सर्जिकल स्ट्राइक पर आम आदमी पार्टी ने भी उस समय सबूत मांगे थे। 6 मई को रांची में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी मोदी पर यह आरोप लगाकर कि उन्हें पहलगाम हमले की सूचना थी इसलिए उन्होंने कश्मीर का दौरा रद्द किया कहकर जानबूझकर सरकार को बदनाम करने का काम किया। मोदी ऐसी शख्सियत नहीं जो डर कर दौरा रद्द कर दें। कौन नहीं जानता कि आतंकवादियों की धमकी के बाद भी 26 जनवरी 1992 में मोदी ने कश्मीर के लाल चौक पर उस दौर में झंडा फहराया था जब देश की सरकार के मंत्री तक डर कर कश्मीर का दौरा नहीं करते थे। वस्तुत: ऐसे दो चार नेता नहीं जिनके बयान पाकिस्तान को कवर फायर दे रहे हैं बल्कि कांग्रेस के सिद्धा रमैया, रणदीप सुरजेवाला, महाराष्ट्र कांग्रेस के विजय वेदत्तिवार, मणि शंकर अय्यर, तथा देश के कई विपक्षी नेता और कई मुस्लिम प्रभावी लोग हैं जो पाकिस्तान को कवर फायर देते नजर आ रहे हैं। इससे बड़ी विडंबना और क्या हो सकती है कि पाकिस्तान जब भारत के हमले के डर से थर-थर कांप रहा है तब ये नेता पाकिस्तान के समर्थन में ऐसे बयान दे रहे हैं जिनका पाकिस्तान फायदा उठाने का प्रयत्न कर रहा है। साम्यवादी विवेक श्रीवास्तव जैसे कई नेता तो मुस्लिम तुष्टिकरण और पाकिस्तान प्रेम में इतने अंधे हो गए हैं कि इन्हें हिंदुओं की पीड़ा नजर ही नहीं आ रही। ये सारे नेता आपदा में अवसर तलाश रहे हैं और पाकिस्तान का साथ दे रहे हैं। जबकि विश्व समुदाय भारत के साथ खड़ा है। जो भी हो कांग्रेस समेत लगभग सारे विपक्षी दल यह बात जान रहे हैं कि यदि जंग हुई तो भारत की जीत निश्चित है जो मोदी के उत्कर्ष की एक और कहानी लिखेगा जिसका असर विपक्ष के लिए एक और बार 5 साल के लिए सत्ता से बाहर रहने को बाध्य कर देगा।
