मोदी का सक्षम नेतृत्व और सेना का पराक्रम है ऑपरेशन सिंदूर
डॉ. हरिकृष्ण बड़ोदिया
आखिर देश की 140 करोड़ जनता की मुराद पूरी हो गई लेकिन इसकी पूर्ण आहुति तो तब होती जब पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर भारत के कब्जे में होता। यही नहीं बल्कि बलूचिस्तान और पख्तूनिस्तान पाकिस्तान के शिकंजे से मुक्त हो जाते। इसमें कोई शक नहीं कि नेतृत्व यदि मजबूत और दृढ़ संकल्पी हो तो कोई भी देश अपने पर गर्व कर सकता है। आज हमें मोदी के नेतृत्व पर गर्व है। आज भारत के पास मोदी जैसा वैश्विक स्तर का नेता है जिसे दुनिया के प्राय: सभी महत्वपूर्ण देश जानते, पहचानते और उन्हें भारत के विशिष्ट नेतृत्व के लिए मानते हैं। 2014 में जब मोदी ने भारत की बागडोर संभाली थी तब से अब तक भारत अपने उत्कर्ष के उच्चतम स्तर पर है। मोदी ने न केवल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश को सम्मान दिलाया बल्कि उसकी आंतरिक समस्याओं के समाधान में अप्रतिम योगदान दिया है। पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए जो कदम 6 मई की रात को उठाए गए वे निर्णय बहुत जिम्मेदारी और सोच समझ कर उठाए गए। मोदी ने कहा था कि समय कम है और लक्ष्य बड़ा है। हम आतंकवादियों और उनके आश्रय दाताओं को सबक सिखाएंगे, आतंकवादियों की जमीन को मिट्टी में मिलाएंगे, उन्हें घर में घुस कर मारेंगे, उनके इस निश्चय को देश की सेना ने पूरा किया। हम जानते हैं कि सेना के पास आयुध संसाधनों की पर्याप्त उपलब्धता के बिना कोई संघर्ष नहीं जीता जा सकता। एक समय ऐसा था जब यूपीए सरकार इस बात का रोना रोती थी कि उसके पास लड़ाकू विमान खरीदने के लिए धन ही नहीं है। यही नहीं तत्कालीन सरकार देश की अस्मिता से समझौता करती देखी जाती थी। उस सरकार में दृढ़ इच्छा शक्ति की इतनी कमी थी कि 2008 के 26/ 11 मुंबई हमले के बाद सेना का खून खौल रहा था लेकिन सरकार ने पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया जिसका देश की जनता को मानसिक आघात लगा। मुंबई हमला देश के गौरव और आत्मसम्मान को तहस-नहस करने वाला था लेकिन यूपीए सरकार ने तुष्टिकरण की नीति के चलते पाकिस्तान की ज्यादतियों को हमेशा बर्दाश्त करते हुए उसे क्लीन चिट दी जिससे देश के नागरिकों को न केवल नीचा देखना पड़ा बल्कि आत्म ग्लानि हुई। निश्चित ही ऐसी स्थिति में जब मोदी ने देश की बागडोर संभाली थी और शायद उसी समय देश की आर्मी को सक्षम बनाने का संकल्प लिया होगा। जब मोदी ने राफेल डील की तो कांग्रेस के पेट में मरोड़ उठी। उसने मोदी सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाना शुरू कर दिए। वस्तुत कांग्रेस को देश की सुरक्षा के लिए सेना को सशक्त बनाने से मतलब नहीं था वह तो बोफोर्स खरीद में हुए कथित भ्रष्टाचार के स्टीकर को धूमिल करने के लिए मोदी पर राफेल डील में भ्रष्टाचार के आरोप मढ़ने की कोशिश में थी। यही कारण था कि प्रधानमंत्री मोदी पर चौकीदार चोर है का नारा उछालकर दुनिया भर में बदनाम करने की कोशिश की जिसकी परिणिति सुप्रीम कोर्ट से राहुल गांधी को माफी मांगने के रूप में हुई। वस्तुत: रफाल डील आज भारतीय सेना की बहुत बड़ी ताकत है। जिस डील में कांग्रेस भ्रष्टाचार खोज रही थी वह डील देश की सुरक्षा के लिए कितनी आवश्यक थी यह ऑपरेशन सिंदूर में सिद्ध हो गई। पाकिस्तान के विरुद्ध सैन्य कार्रवाई में रफाल एक घातक लड़ाकू विमान साबित हुआ। जब 6 मई की रात 1.44 बजे सेना ने 23 मिनटों में पाकिस्तान के 9 आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया तब यह राफेल ही थे जिनकी ताकत से पाकिस्तान थर्रा गया। जो भी हो यह बात अब पूरी तरह से साबित हो गई कि प्रधानमंत्री मोदी एक ऐसे सक्षम और विजनरी नेता हैं जो भविष्य का बहुत सटीक आकलन करने में प्राय: गलत नहीं होते।
पाकिस्तान भारत के लिए एक समस्या राष्ट्र है। यदि 22 अप्रैल की पहलगाम घटना के बाद उसे सबक न सिखाया जाता तो यह नासूर पहले से ज्यादा लाइलाज हो जाता। यह तभी संभव हुआ जब देश की सेना के पास युद्ध सामग्री पर्याप्त मात्रा में रही। इसके लिए मोदी ने पूरे 10 साल सेना को सक्षम और मजबूत बनाने में लगाए। मोदी ने न केवल रफाल डील को हरी झंडी दिखाई बल्कि एस – 400 खरीद कर पाकिस्तान की बरबादी का सामान एकत्र किया। देश का विपक्ष यूं तो 2002 के गोधरा कांड के बाद से ही मोदी को खलनायक बनाकर प्रस्तुत करता रहा लेकिन मोदी ने हर बाधा को पार करते हुए राष्ट्र के गौरव और सम्मान को आगे बढ़ाने का काम किया। जब मोदी ने देश के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी तब सार्क देशों के प्रमुखों के साथ पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ को भी आमंत्रित किया था। इसका सीधा संदेश यह था कि एक प्रधानमंत्री के रूप में मोदी अपने पड़ोसियों से अच्छे संबंध चाहते थे। यही नहीं अपनी विदेश यात्रा से वापसी के दौरान मोदी बिना पूर्व निश्चित कार्यक्रम और प्रोटोकॉल के नवाज शरीफ के परिवार में विवाह कार्यक्रम में शामिल हुए थे वह एक दुश्मन देश में जाने का साहसी काम ही था जिसमें एक संदेश भी था कि भारत पाकिस्तान से अच्छे रिश्तों के लिए किसी भी प्रतिबंध को बाधा नहीं मानता। विपक्ष इसको हमेशा व्यंग्य के रूप में व्यक्त करते हुए मोदी का मजाक उड़ाता रहा है। कहता रहा है कि मोदी नवाज के यहां सारे प्रोटोकॉल तोड़कर बिरयानी खाने क्यों गए। सच्चाई तो यह है कि मोदी एक संवेदनशील नेता हैं। वह जियो और जीने दो के विचार के पोषक हैं। यही नहीं वे युद्ध के हमेशा विरोधी रहे हैं। यही कारण था कि रूस यूक्रेन युद्ध पर उन्होंने न केवल पुतिन बल्कि यूक्रेन के जेलेंस्की से स्पष्ट रूप में कहा था कि यह युग युद्ध का नहीं है। दोनों देशों को संयम बरतते हुए समस्या का समाधान निकालना चाहिए। मोदी युद्ध के समर्थक नहीं है किंतु यह बात आज स्पष्ट हो गई कि वह समय और परिस्थितियों के हिसाब से अपने को बदलना भी जानते हैं। जब मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली होगी तभी निश्चय कर लिया होगा कि जब भी कभी मौका आएगा तो पाकिस्तान को सबक सिखाने से भी चूकेंगे नहीं। जम्मू कश्मीर के उड़ी की घटना के बाद सर्जिकल स्ट्राइक और पुलवामा की घटना के बाद एयर स्ट्राइक तथा अभी जारी ऑपरेशन सिंदूर इस बात के उदाहरण हैं कि उन्होंने पाकिस्तान से बदला लेने में कोई कोताही नहीं बरती। यह इस बात का प्रमाण है कि उन्होंने सेना को आधुनिक शस्त्रों से लैस करके आज इस स्थिति में पहुंचा दिया कि भारतीय सेना पराक्रम और शौर्य दिखा सकी। ऑपरेशन सिंदूर मोदी के उन भागीरथी प्रयत्नों का परिणाम ही है। मोदी ने बीते 10 सालों में दुनिया के देशों से जो अच्छे संबंध बनाए उसका परिणाम आज देखने में आ रहा है। चीन, तुरकिये और मलेशिया के अलावा कोई भी देश आज पाकिस्तान के साथ खड़ा नहीं है क्योंकि सब जानते हैं कि पाकिस्तान आतंकियों को प्रश्रय देने वाला राष्ट्र है, क्योंकि मोदी ने हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को अहम मुद्दा बनाया। पाकिस्तान ने कायरता पूर्ण तरीके से धर्म पूछ कर पहलगाम में पर्यटकों पर हमला कर 26 नागरिकों की हत्या की जिसने दुनिया भर के देशों को विचलित किया। यही कारण है कि दुनिया का कोई भी देश पाकिस्तान से भारत के बदला लेने के अधिकार के विरुद्ध खड़ा नहीं हुआ। दुनिया जानती है कि भारत में आज सशक्त सक्षम तार्किक और मजबूत नेता मोदी है जो हर देश से अच्छे संबंधों में विश्वास करते हैं। और यह भी कि पाकिस्तान एक धोखेबाज देश है जो अपनी आतंकी गतिविधियों से भारत को अस्थिर करने की न केवल कोशिश करता है बल्कि आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने से बाज नहीं आता। यदि ऐसा नहीं होता तो 10 मई की शाम जब दोनों देशों में सैनिक कार्रवाई पर विराम की घोषणा थी तो उसके बाद भी पाकिस्तान ने भारत पर कश्मीर, राजस्थान और पंजाब में ड्रोन हमला किया जो बताता है कि पाकिस्तान एक धोखेबाज मुल्क है। देश की जनता इस बात से संतुष्ट हो सकती है कि भारत ने पाकिस्तान में आतंकी अड्डों को तबाह किया और उनके एयरवेस ठिकानों को गंभीर नुकसान पहुंचाया। लेकिन उसका अरमान पीओके पर भारत का कब्जा होना पूरा नहीं हो पाया। दोनों देशों के बीच सैन्य गतिविधियों पर विराम में अमेरिकी राष्ट्रपति ने स्वयं को मध्यस्थ की भूमिका में दर्शाने का काम कर देश के मोदी विरोधियों को मुद्दा दे दिया है। जिस पर बहुत लंबे समय तक चर्चा चलेगी इसमें संदेह नहीं क्योंकि पाकिस्तान को सबक सिखा कर मोदी ने जो उपलब्धियां अर्जित की हैं उन पर पर्दा डालने के लिए विपक्ष के पास इससे अच्छा मुद्दा और क्या हो सकता है। लेकिन संतोष इस बात का है कि ऑपरेशन सिंदूर अभी बंद नहीं हुआ है बल्कि जारी है और तब तक जारी रहेगा जब तक पाकिस्तान आतंकवाद से तौबा नहीं कर लेगा क्योंकि मोदी ने स्पष्ट कर दिया है कि पाकिस्तान का हर आतंकवादी हमला देश के विरुद्ध युद्ध माना जाएगा। देश के नाम संदेश में उन्होंने पाकिस्तान को चेता दिया है कि भारत न्यूक्लियर ब्लैकमेल बर्दाश्त नहीं करेगा।
