Madhya Pradesh

SFLC.in ने व्यक्त की चिंता, पिछले 4 वर्षों में मध्यप्रदेश में साइबर धोखाधड़ी से नागरिकों को ₹1,000 करोड़ से अधिक का नुकसान

Spread the love

द सॉफ्टवेयर फ्रीडम लॉ सेंटर, इंडिया (SFLC.in) ने साइबर ठगी से सम्बंधित मध्य प्रदेश विधानसभा में रखे गए ताज़ा आंकड़ों पर चिंता जताई है। दरअसल इन आंकड़ों के अनुसार पिछले चार सालों में साइबर ठगी के मामलों में राज्य के लोगों से ठगो द्वारा लगभग 1,054 करोड़ रूपये हड़प लिए गए। हैरानी की बात है कि इन ठगी के केसों की रिकवरी दर 0.2% से भी कम है। 

राज्य सरकार के डाटा के अनुसार, 1 मई 2021 से 13 जुलाई 2025 के बीच राज्य में साइबर फ्रॉड से करीब 1,054 करोड़ रुपये की ठगी हुई। इसमें से सिर्फ 1.94 करोड़ रुपये पीड़ितों को वापस मिल पाए हैं, जबकि 105.21 करोड़ रुपये अभी भी होल्ड पर हैं। जनवरी 2020 से 15 जुलाई 2025 तक कुल 6,046 साइबर फ्रॉड के इस दर्ज हुए। इनमे से सबसे ज्यादा ठगी के केस यानी 1,193 केस साल 2024 में सामने आए।

“कम्प्रिहेन्सिव मॉड्यूलर सर्वे: टेलीकॉम 2025” के अनुसार, मध्य प्रदेश में साइबर अपराध की जानकारी और इसे ऑनलाइन शिकायत करने की सुविधा बहुत कम है, खासकर ग्रामीण इलाकों में यह सुविधा बहुत कम है। ग्रामीण इलाकों में सिर्फ 14.1% लोग और शहरों में 29.3% लोग (15 साल या उससे अधिक उम्र के) ही साइबर फ्रॉड की शिकायत ऑनलाइन कर पाते हैं। इसमें महिलाओं और पुरुषों के बीच भी बड़ा अंतर है। साइबर ठगी से पीड़ित 25.4% पुरुष शिकायत करते हैं, जबकि महिलाओं का आंकड़ा सिर्फ 11.4% है। यही वजह है कि कई केस या तो दर्ज ही नहीं हो पाते या देर से दर्ज होते हैं, जिससे पुलिस कार्रवाई भी देर से होती है और ठगों का हौसला बढ़ता है।

मध्य प्रदेश सरकार ने अपनी साइबर सिक्योरिटी पॉलिसी 2017 के तहत साइबर खतरों से बचाव और घटनाओं से निपटने के लिए कदम उठाए हैं। इसके लिए MP-कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम (MP-CERT) बनाई गई है और अलग-अलग विभागों में चीफ इन्फॉर्मेशन सिक्योरिटी ऑफिसर (CISO) नियुक्त किए गए हैं। लेकिन ठगी का बहुत कम पैसा वापस मिलना यह दिखाता है कि सिस्टम में कई बड़ी कमजोरियां हैं, खासकर UPI और ऑनलाइन बैंकिंग के मामलों में क्योंकि यहाँ धोखाधड़ी वाले लेन-देन को ट्रैक करना, रोकना और लौटाना मुश्किल साबित हो रहा है।

यह समस्या सिर्फ मध्य प्रदेश में ही नहीं है बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी साइबर फ्रॉड के हालात चिंताजनक हैं। साल 2024 में देशभर में साइबर अपराधियों ने 22,845.73 करोड़ रुपये की ठगी की, जो 2023 के 7,465.18 करोड़ रुपये की तुलना में 206% ज्यादा है। गृह मंत्रालय ने संसद में यह आंकड़े पेश किए। ये आंकड़े नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) और सिटिजन फाइनेंशियल साइबर फ्रॉड रिपोर्टिंग एंड मैनेजमेंट सिस्टम (CFCFRMS) से लिए गए हैं। दोनों प्लेटफ़ॉर्म का संचालन इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C) करता है।

SFLC.in का मानना है कि साइबर अपराध से निपटने के लिए तुरंत ठोस कदम उठाने की ज़रूरत है। इसके लिए हर ज़िले में साइबर क्राइम सेल बनाई जाए और इस सेल में ट्रेंड डिजिटल फॉरेंसिक विशेषज्ञ शामिल किए जाएं। बैंक, पेमेंट गेटवे और पुलिस के बीच तुरंत सूचना साझा करने का सिस्टम हो, ताकि धोखाधड़ी वाले लेन-देन समय रहते रोके जा सकें। साथ ही गांवों, वार्डों और स्कूलों तक जागरूकता अभियान चलाए जाएं, जिससे लोग सुरक्षित डिजिटल तरीक़ों के बारे में सीख सकें। सबसे अहम बात यह है कि पीड़ितों को मुआवज़ा देने की व्यवस्था मज़बूत की जाए, ताकि पैसा वापस मिलना केवल कागज़ों तक सीमित न रहकर लोगों को असल में राहत मिल सके।

अगर इस समस्या के समाधान के लिए तुरंत कदम नहीं उठाए गए तो लोग ऑनलाइन लेन-देन पर भरोसा करना कम कर सकते हैं। इससे राज्य की डिजिटल अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा और देश के फाइनेंसियल इन्क्लूजन (वित्तीय समावेशन) व डिजिटल सशक्तिकरण के बड़े लक्ष्य भी कमजोर हो जाएंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *