बैतूल में मां ताप्ती नदी के तटों पर नहीं हुआ विकास
रामकिशोर दयाराम पवार
बैतूल। बैतूल विधानसभा क्षेत्र में बहने वाली पुण्य सलिला सूर्यपुत्री मां ताप्ती नदी का एक लंबा किनारा पारसडोह से लेकर खेड़ी घाट तक लगभग 100 किलोमीटर तक उपेक्षित पड़ा है। इस क्षेत्र के बीजेपी कांग्रेस के पूर्व एवं वर्तमान जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण मां ताप्ती के किनारे किसी भी घाट का निर्माण कार्य नहीं हुआ, जिससे श्रद्धालुओं की सुरक्षा और धार्मिक कार्यक्रमों में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। मां सूर्यपुत्री ताप्ती जाग्रति समिति के रामकिशोर पवार ने इस गंभीर मुद्दे को उठाते हुए बताया कि ताप्ती नदी में डूबने से कई मौतें हो चुकी हैं, और घाट के अभाव में वैवाहिक संबंधों पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
रामकिशोर पवार के अनुसार, बैतूल विधानसभा क्षेत्र में ताप्ती नदी के तटों पर किसी भी घाट का निर्माण नहीं होने से लोगों को गहरे पानी में स्नान के लिए जाना पड़ता है, जिससे बारहलिंग और पारसडोह जैसे क्षेत्रों में डूबने की घटनाएं बार-बार सामने आती हैं। पवार ने बताया कि उन्होंने व्यक्तिगत रूप से कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों के जनप्रतिनिधियों से बार-बार निवेदन किया है कि होशंगाबाद (नर्मदापुरम) में मां नर्मदा के सेठानी घाट की तरह बैतूल के बारहलिंग या खेड़ी ताप्ती घाट पर भी घाट का निर्माण करवाया जाए। रामकिशोर पवार ने कहा कि वे किसी राजनीतिक पद पर नहीं हैं और आर्थिक रूप से भी सक्षम नहीं हैं, लेकिन जन सहयोग से बारहलिंग तीर्थ स्थल को पहचान दिलाने का प्रयास किया है। उन्होंने धर्मप्रेमी जनता के सहयोग से शिवधाम बारहलिंग में दो आरती द्वार श्री राम आरती द्वार और मां जगत जननी सीता आरती द्वार का निर्माण करवाया है, साथ ही नदी के जल मार्ग तक पहुंचने के लिए सीढ़ी और बुजुर्गों के लिए ढलान वाला रास्ता भी बनवाया है। आज यह दोनों आरती द्वार श्रद्धालुओं के लिए सेल्फी पॉइंट बन चुके हैं, लेकिन अगर जनप्रतिनिधि ताप्ती के किनारों को संवारने का कार्य करेंगे, तो इससे ताप्ती के प्रति श्रद्धा रखने वालों को भी पुण्य लाभ प्राप्त होगा। पूर्व विधायक अलकेश आर्य भी ताप्ती पदयात्रा निकाल चुके हैं। पवार ने कहा कि जनप्रतिनिधियों को केवल वोटों के लिए नहीं, बल्कि ताप्ती के तटों के कायाकल्प का बीड़ा उठाना चाहिए, जिससे मां ताप्ती प्रसन्न हों और जनता उन्हें हमेशा याद रखे।