श्री महालक्ष्मी तत्व का महानतम आशीर्वाद है आनंद लेने की शक्ति : श्री माताजी
दीपावली प्रकाश पर्व होने के साथ-साथ श्री महालक्ष्मी की आराधना व स्थापना का पर्व भी है। चूंकि वर्तमान समय मैं श्री महालक्ष्मी तत्व को सामान्य वर्ग में धन का पर्याय मान लिया गया है अतः वे उनके संपूर्ण गुणों व रूपों से अपरिचित ही रहते हैं। और अंततः लक्ष्मी पूजन के बाद भी आर्थिक व मानसिक रूप से संतुष्ट नहीं रहते ।
परम पूज्य श्री माताजी श्री निर्मला देवी जी ने श्री महालक्ष्मी के अष्टलक्ष्मी स्वरूपों की बहुत ही सहज व्याख्या की है। यदि हम अष्ट लक्ष्मी स्वरूपों की जागृति ध्यान द्वारा अपने भीतर कर पाते हैं, तो संतुष्टि व आध्यात्मिक उन्नति सहज ही प्राप्त हो जाती है। और यह सहजयोग ध्यान पद्धति द्वारा अत्यंत सरल, सहज व लाखों व्यक्तियों द्वारा अनुभूतित है ।
श्री माताजी द्वारा वर्णित अष्टलक्ष्मी स्वरूप-
आद्य लक्ष्मी – आद्य अर्थात आदि लक्ष्मी जिनकी उत्पत्ति समुद्र से हुई है। जल में स्वच्छ करने की शक्ति होती है अतः आद्य लक्ष्मी की कृपा से हम अपने अंतर को स्वच्छ कर जलसम हो जाते हैं।
विद्यालक्ष्मी – विद्यालक्ष्मी हमें परमेश्वरी शक्ति को संभालने का ज्ञान प्रदान करती है परमेश्वरी ज्ञान को गरिमापूर्वक किस प्रकार उपयोग करना है यह आशीर्वाद हमें इन्हीं से प्राप्त होता है।
सौभाग्य लक्ष्मी – सौभाग्य का अर्थ केवल पैसा नहीं होता है। इस का अर्थ है, खुशकिस्मती हर चीज में अच्छा भाग्य। श्री लक्ष्मी का यह स्वरूप आपको भी आशीर्वादित करता है व आपसे मिलने वाले लोगों को भी सौभाग्य का आशीष प्राप्त होता है।
अमृत लक्ष्मी – अमृत का अर्थ है चिरंजीवी होना। अतः अमृत लक्ष्मी आपको आत्मिक उत्थान और आत्मा के स्तर पर अनंत जीवन प्रदान करती है।
गृह लक्ष्मी – यह परिवार की देवी हैं परंतु स्त्री गृह लक्ष्मी तभी होती है जब परिवार के देवता का निवास उसके अंदर होता है अन्यथा नहीं।
राज्य लक्ष्मी – यह राजाओं को गरिमा प्रदान करती है जब कोई व्यक्ति या सहजयोगी भौतिक रूप से राजा नहीं होता परंतु उसका प्रत्येक कार्य भव्य व गरिमामय होता है तथा वह अत्यंत भव्यता पूर्वक लोगों से व्यवहार करता है और लोग सोचते हैं की देखो राजा आ रहा है। यही राज्य लक्ष्मी की कृपा होती है।
सत्य लक्ष्मी – सत्य लक्ष्मी के माध्यम से आपको सत्य की चेतना प्राप्त होती है। परंतु सत्य को आप भव्य तरीके से प्रस्तुत करते हैं। सत्य से आपको अपने लोगों को चोट नहीं पहुंचानी है बल्कि फूलों में रखकर आपने लोगों को सत्य देना है यही सत्य लक्ष्मी है।
योगलक्ष्मी – श्री लक्ष्मी जी का यह स्वरूप आपको योग प्रदान करता है आपकी अंतःस्थित लक्ष्मी की शक्ति से आपका योग हो जाता है जब आपका योग स्वयं से होता है तो आप योग की ये शक्ति अन्य लोगों को भी प्रदान कर सकते हैं।
नि:स्संदेह यह सभी लक्ष्मी तत्व हमारे हृदय में स्थापित शक्तियां हैं परंतु वास्तव में उनकी अभिव्यक्ति हमारे मस्तिष्क में होनी चाहिए। सहजयोग ध्यान पद्धति द्वारा आपका मस्तिष्क स्वत: ही इस प्रकार कार्य करता है, कि लोग सोचते हैं यह कोई विशिष्ट व्यक्तित्व है। श्री महालक्ष्मी तत्व का महानतम आशीर्वाद है आनंद लेने की शक्ति इस आनंददायी शक्ति को आत्मसात करने के लिए आत्मसाक्षात्कार की प्राप्ति आवश्यक है।