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इंडस्ट्री और शिक्षा संस्थान मिलकर के काम करेगे तो समाज का अधिक भला होगा

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प्रवीण जोशी

इंदौर। प्रभु जिस व्यक्ति से बड़े काम कराना चाहता है उसे ऊँचे ओहदे पर बिठा देता है। अत ऊँची कुर्सी पर बैठा व्यक्ति कभी भी अभिमान नहीं करे। हमारे युवा जो भी अच्छा कार्य करे, उसमें पूरी शक्ति लगाए और स्वय के लिए चुनौती पैदा करे। वे अपनी मेंटल हेल्थ की ग्रोथ में कमी नही आने दे और सतत सेल्फ इंप्रुवमेंट करते रहे। पढ़ने की आदत कभी भी नहीं छोडे।
यह बात उधोगपति एवं समाजसेवी एस पाल ने ब्रियलेंट कंवेंशन सेंटर में युवा इंजिनियरो को संबोधित करते हुए कहीं। वे द इंस्टिट्यूशन ऑफ इंजिनियर्स इंदौर लोकल द्वारा 37वें नेशनल कनवेंशन ऑफ टैक्स टाइल इंजीनियर्स नेशनल सेमिनार के समापन समारोह के मुख्य अतिथि थे। यह जान कारी मीडिया प्रभारी प्रवीण जोशी ने दी।
युवा इंजिनियर सौरभ जैन ने कहा कि टैक्सटाइल इंडस्ट्री में सन्टेनेबिलिटी तभी आयेगी जब हम इनवायमेंट की अधिक चिंता करेगे। आज नये- नये इनोवेशन्स की जरूरत है। कनवेंशन के कंवेनर इंजी. आर पी गौतम ने कहा कि काम करना मेरी नियति है। जब संस्टेनबिलिटी शब्द नहीं आया था ,मै उसके पहले से इस विषय पर काम कर रहा हु। यदि इंडस्ट्री और शिक्षा संस्थान मिलकर काम करेगे तो समाज का अधिक भला होगा। आई आई टी ,दिल्ली के अपूर्वा दास ने कहा कि यदि हम एक किलोवाट प्रति घंटे के मान से बिजली के उपकरण चलाते है करीब 1 किलो कार्बन का उत्सर्जन होता है। अत कार्बन में कमी के लिए काम करने की जरूरत है। इंजी. अजय शंकर जोशी और तनवीर मलिक ने रेशमी कपड़े पर प्राकतिक रंग चढ़ाने की विधि के बारे में बताया।

मुंबई इंडस्ट्री के इंजी. वीरेंद्रनाथ बंदोपाध्याय ने कहा कि हम नई मशीनों के जरिये टिकाऊ व्यवस्था की और बढ़ सकते है। अहमदाबाद की इंजी. प्रियम पटेल ने कहा कि अग्निरोधी धागा से बुनाई कर बनाये कपड़े विदेशों में बहुत महगे बिकते है जबकि भारत में इसका उतना प्रचार प्रसार नहीं है, इस पर ध्यान देने की जरूरत है। यह शरीर को गर्मी से बचाता है। सीनियर साइंटिस्ट शांतनु बसक ने कहा कि हम प्राकृतिक रेशों से ऐसा लेदर बनाये जो पर्यावरण के अनुकूल हो। वैष्णव विद्यापीठ के असिटेंट प्रोफेसर डॉ. पी के गुप्ता ने भिंडी के रेशों से कपड़ा बनाने की विधि बताई। निफ्ट की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सस्मिता पांडा ने कहा की नॉर्थ इस्ट में आदिवासी समाज लेपचा वीविंग से सुंदर- सुंदर बैग, स्कर्ट,शाल आदि बनाता है जिनकी विदेशों में काफी मांग है। ऐसे प्रोडक्ट को और अधिक प्रमोट करने की आवश्यकता है। सस्टेने बल फाइबर पर भी और काम करने की आवश्यकता है। कोयमबटूर के डॉ. आर स्वामीनाथन ने केले के तने और दंठल से रेशो का उपयोग करके कंपोजिट्
मटेरियल के रूप में उपयोग पर प्रकाश डाला। आफरिन बैगम ने खादी के कपड़ो पर प्राकतिक रंग चढाने की विधि के बारे में बताया। इंजी. दिनेश शुक्ला ने कहा कि टैक्सटाइल इंडस्ट्री का गोल्डन पीरियड आयेगा। मुंबई के इंजी. डॉ. निलेश कानूनगो ने कहा कि हम ऐसे कपड़े बनाये जिसमें हवा और पानी दोनों ही प्रदूषित नही हो। युवा इंजीनियर अपनी स्कील पर अधिक ध्यान दे।
एडीएस के डायरेक्टर डॉ. चंदन चटर्जी ने कहा कि अब राज्य और केंद्र सरकार दोनों ही ऐसे सख्त नियम- कायदे बना रही है जिससे कोई भी व्यक्ति पर्यावरण का नुकसान नहीं कर सके। इसकी सख्ती के लिए वह तकनीक का भी इस्तेमाल कर रही हैं, जो अच्छा संकेत है। इंजी. रमेश एस चौहान ने कहा कि आज के युवा इंजीनियर काफी टेलेटेड है, उन्हें तराशने की जरूरत है। प्रतिभा सिंटेक्स के मुकेश माटा ने कहा कि प्रकृति में संतुलन बनाये रखने के लिए उच्च शिक्षा के पाठयक्रम में हम ऐसे विषयों को और अधिक जोड़े जिससे हमारा इनवयारमेंट सुरक्षित रहे। जलवायु परिवर्तन की वजह से हमारा मौसम का चक्र गडबड़ा गया है। वापी के इंजी. प्रभात पाराशर ने कहा कि यदि हम ऊन के रेशों का उपयोग बहुत ही संजीदा तरीके से करते है तो पर्यावरण बचेगा। श्रीमती पूनम पुरोहित ने कहा कि हमे ऐसे आराम दायक कपड़े बनाये जिसका मकसद वे शरीर का तापमान बाहर के तापमान से कम रखने मे उपयोगी हो। संजय बामनिया ने बताया कि अब टैक्सटाइल के मटेरियल का उपयोग ऐसे है जो ऊँचाई वाली जगहों पर घर बनने के लिए किया जा रहा है। डॉ.योगिता अग्रवाल ने गारमेंट की सस्टेनेबल की चुनोतियों पर प्रकाश डाला। फ़ैशन एक्सपर्ट
रति रानाडे ने कहा कि आज बाजार में ऐसे कपड़े आ गए है जिसने स्त्री -पुरुष का भेद समाप्त कर दिया है। किरीट वाघ ने कहा कि यदि हमने हवा, पानी, पृथ्वी और आकाश को प्रदूषित होने से बचा लिया तो सस्टने बिलिटी पर आंच नही आयेगी। कनवेंशन की रिपोर्ट अजय शंकर जोशी ने पढ़ी। अतिथि स्वागत अध्यक्ष दिनेश शुक्ला, सचिव रमेश एस चौहान ने किया। प्रतिक चिन्ह आर पी गौतम ने प्रदान किये। कार्यक्रम का संचालन अजय शंकर जोशी , साक्षी शर्मा और नियति पाली ने किया। आभार माना आर पी गौतम ने। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में इंजीनियर, स्टूडेंट्स और टैक्सटाइल इंडस्ट्री के प्रतिनिधि शामिल हुए।

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