Assam

सुरक्षाबलों के परिवारों को सशक्त करने के लिए एम.एस.यू. और असम रायफल्स के बीच साझेदारी

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असम रायफल्स ने अपने सेवारत, सेवानिवृत्त और युद्ध में हताहत कर्मियों के जीवनसाथियों और बच्चों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से मेधावी स्किल्स यूनिवर्सिटी के साथ एक ऐतिहासिक समझौता किया। इस समझौते के तहत असम रायफल्स के सेवारत, युद्ध में हताहत और सेवानिवृत कर्मियों के जीवनसाथियों और बच्चों को एम.एस.यू. में 50% तक की छात्रवृत्ति दी जाएगी और कौशल आधारित स्नातक और स्नातकोत्तर कार्यक्रमों में प्रवेश दिया जाएगा।
शिलॉन्ग में असम रायफल्स के मुख्यालय में एयर वाइस मार्शल डी. के. अवस्थी (रि.) की उपस्थिती में असम रायफल्स के डायरेक्टर जनरल, लेफ्टिनेंट जनरल प्रदीप चंद्रन और एम.एस.यू. के सह संस्थापक और प्रो-कुलपति श्री कुलदीप सरमा ने इस समझौते पर दस्तखत कर इसे अंतिम रूप दिया।
भारत का सबसे पुराना अर्धसैनिक बल असम राइफल्स देश की रक्षा पंक्ति का एक अहम हिस्सा है। विशेष रूप से भारत-चीन युद्ध के दौरान, असम रायफल्स ने भारी चुनौतियों के बावजूद असाधारण वीरता का प्रदर्शन करते हुए भारत की संप्रभुता की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। ऐसे में इन वीर जवानों के परिवारों को उचित सम्मान देने और उन्हें सशक्त बनाने की दिशा में एम. एस. यू. ने बड़ी पहल की है।
समझौते के तहत स्नातक कार्यक्रमों में न्यूनतम 150 सीटें आरक्षित करना शामिल है। इसके अतिरिक्त, स्नातकोत्तर कार्यक्रमों में भी इन कर्मियों के बच्चों और जीवनसाथियों के लिए न्यूनतम 50 सीटें आरक्षित की जाएंगी। सेवारत, सेवानिवृत्त और शहीद हुए असम रायफल्स कर्मियों के बच्चों और जीवनसाथियों के लिए ट्यूशन फीस में 50% की रियायत के साथ-साथ छात्रावास आवास शुल्क में 10% की रियायत भी होगी।
वीर नारियों और शहीदों के बच्चों को इस समझौते का सबसे ज्यादा लाभ मिलेगा, उनकी ट्यूशन फीस में 100% तक की रियायत होगी। साथ ही असम रायफल्स के जो जवान वीरता पुरस्कार से सम्मानित हैं या वे सेवानिवृत जवान जिन्हें वीरता पुरस्कार मिला है, उनके जीवनसाथियों और बच्चों की ट्यूशन फीस में भी 80% तक की रियायत का प्रावधान है।
इस अवसर पर, श्री कुलदीप सरमा ने कहा, “एम.एस.यू. असम राइफल्स के प्रयासों को सलाम करता है और उनकी सराहना करता है। हम अपने बहादुर जवानों के परिवारों की शिक्षा और उन्हें रोजगार के काबिल बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह सहयोग एम.एस.यू. को पूर्वोत्तर के नायकों को सम्मानित करने का अवसर प्रदान करता है।“

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