ज्ञानतीर्थ में श्री जी की शोभायात्रा के साथ हुआ विधान का समापन
हवन एवम श्रीजी की शोभायात्रा पश्चात हुआ सामूहिक भोज
(मनोज नायक)
मुरेना, श्री सिद्धचक्र महामंडल एवम विश्व शांति महायज्ञ के समापन पर ज्ञानतीर्थ क्षेत्र में श्री जी की भव्य शोभा यात्रा निकाली गई ।
ज्ञानतीर्थ पर विराजमान सप्तम पट्टाचार्य श्री ज्ञेयसागर महाराज, मुनिश्री ज्ञातसागर महाराज, मुनिश्री नियोगसागर महाराज, क्षुल्लक श्री सहजसागर महाराज के पावन सान्निध्य में 20 नवंबर को आठ दिवसीय सिद्धचक्र विधान का शुभारंभ हुआ था । विधान की सभी क्रियाएं प्रतिष्ठाचार्य अशोक शास्त्री लिधौरा व महेंद्रकुमार शास्त्री मुरेना ने सम्पन्न कराई ।
श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान के समापन पर आज अंतिम दिन श्री जिनेंद्र प्रभु का अभिषेक, शांतिधारा, नित्य नियम पूजन पश्चात विश्व शांति के कामना के साथ महायज्ञ का आयोजन किया गया । उपस्थित सभी लोगों ने हवन में आहुति दी । महायज्ञ के पश्चात श्री जिनेंद्र प्रभु की प्रतिमा को चांदी की पालकी में विराजमान किया गया । शोभा यात्रा में सभी भक्तजन एक विशेष परिधान में उपस्थित थे । सभी के हाथों में जैन धर्म की पचरंगीन ध्वजा थी । सभी लोग जैन सिद्धांतों के अनुसार नारे लगाते हुए जैन धर्म का गुणगान कर रहे थे । युवक भक्ति पूर्ण भजनो पर नृत्य करते हुए चल रहे थे । बैंड बाजों के साथ प्रभु की शोभायात्रा हाइवे पर भ्रमण करती हुई ज्ञानतीर्थ प्रांगण में स्थित पांडुक शिला पर पहुंची । श्री जिनेंद्र प्रभु को पांडूक शिला पर विराजमान कर उपस्थित सभी पात्रों, इंद्रगणों ने स्वर्ण कलश से श्री जिनेंद्र प्रभु का जलाभिषेक किया ।
आचार्य श्री ज्ञेयसागर जी महाराज ने श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान का महत्व बताते हुए कहा कि यह विधान सभी पापों, अशुभ कर्मो एवम सभी दुखों का नाश करता है । अपने जीवनकाल में प्रत्येक श्रावक को इस विधान को करना चाहिए ।
विधान पुण्यार्जक महेंद्रकुमार, पवनकुमार जैन बजाज (विचपुरी वाले) के विधान में बाल ब्रह्मचारिणी अनीता दीदी, मंजुला दीदी, ललिता दीदी का निर्देशन प्राप्त हुआ ।
