मलमास में करे सूर्यदेव की उपासना
पंडित आयुष चौधरी-दैनिक जर्नलिस्ट डेस्क
पृथ्वी में सूर्यदेव को तेज का प्रतीक व प्राणदाता हैं। शास्त्रोक्त मान्यता है कि सूर्यदेव की उपासना से सुख, समृद्धि, यश, कीर्ति,विजय,लाभ,उन्नति, वैभव, मान-सम्मान, ओजस, वर्चस व तेजस की प्राप्ति होती है। इसलिए सूर्य उपासना का बड़ा महत्व है। खरमास या मलमास सूर्य से संबंधित है, इसलिए इन दिनों में फल प्राप्ति हेतु सूर्य उपासना के साथ दान-पुण्य, पूजा, हवन, धर्म और उपासना का विशेष महत्व है।
मलमास या खरमास में किसी तरह का कोई मांगलिक, शुभ कार्य न करें। लोक कथाओं के अनुसार खरमास के पीछे एक पौराणिक कथा प्रचलित है। धार्मिक मान्यता है, मार्कण्डेय पुराण में वर्णन है एक बार सूर्य देवता अपने सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर ब्रह्मांड की परिक्रमा करने के लिए निकल पड़ते हैं। इस दौरान उन्हें कहीं पर भी रुकने की इजाजत नहीं थी। लेकिन लगातार चलते रहने के कारण उनके रथ मे जुते घोड़े थक जाते हैं और घोड़ों को प्यास लग जाती है। सूर्यदेव घोड़ों को लेकर एक तालाब के किनारे चले गये। लेकिन उन्हें तभी यह आभास हुआ कि अगर रथ रुका तो पूरा जनजीवन भी ठहर जायेगा। लेकिन घोड़ों का सौभाग्य ही था कि उस तालाब के किनारे दो खर मौजूद थे। भगवान सूर्यदेव की नजर उन गदहों पर पड़ती है और वो घोड़ों के जगह पर खर यानी गधों को अपने रथ में जोड़ लेते हैं। लेकिन खरों के चलने की गति धीमी होने के कारण रथ की गति भी धीमी हो गयी। फिर भी जैसे-तैसे किसी तरह 1 मास का चक्र पूरा होता है। उधर तब तक घोड़ों को भी काफी आराम मिल चुका होता है। इस तरह यह क्रम चलता रहता है और इस सौरवर्ष में 1 सौरमास ‘खरमास’ कहलाता है।
खरमास के महीने में भागवत गीता, श्रीराम की पूजा, कथा-वाचन और विष्णु भगवान की पूजा , एवं नवग्रह संबंधित जाप अनुष्ठान करना शुभ माना जाता है। इस माह में भगवान शिवशंकर की आराधना करने से कष्टों का निवारण होता है। मलमास में भगवान विष्णु की पूजा भी फलदायी मानी जाती है। मान्यता है कि पीले वस्त्र धारण करके मंत्र का जप करना और भी लाभदायी होता है, इसलिए सुबह जल्दी उठ कर और स्नान आदि से निवृत्त होकर सूर्य को अर्घ्य दें और सूर्य आराधना करें। सूर्य आदित्य स्त्रोत और सूर्य मंत्रों का जाप करें।
इस साल खरमास का प्रारंभ 16 दिसंबर दिन शुक्रवार से हो रहा है। इस दिन सूर्य की धनु संक्रांति का क्षण सुबह 10 बजकर 11 मिनट पर है। 16 दिसंबर से प्रारंभ हो रहे खरमास का समापन नये साल 2024के पहले माह जनवरी में होगा। जब सूर्य का धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश होगा तो वह सूर्य की मकर संक्रांति होगी। मकर के प्रारंभ होते ही खरमास का समापन हो जाता है। 15 जनवरी, 2024 को दोपहर 02.43 मिनट पर सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में विराजमान होंगे। ऐसे में मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी।