ताप्ती पर जिस दिन बनेगी पुलिया उसी दिन लौटेगी सुमित्रा
बैतूल से रामकिशोर पंवार
बेतूल, अखण्ड भारत के केन्द्र में बसे आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले की जीवनरेखा कही जाने वाली जीवन दायनी संकट हरणी मोक्ष दायनी पुण्य सलिला पति – पत्नि के बीच वियोग का कारण कैसे बन गई यह पहेली आज तक सुलझ नहीं सकी है। कुछ साल पहले टायलेट एक प्रेमकथा को लेकर सुर्खियो में छाई रही भीमपुर ब्लॉक के ग्राम झीटूढाना की महिला की देखा – देखी कहे या फिर समाचार पत्र के पत्रकारो की प्लांट की गई खबर की नायिका की तर्ज पर एक विवाहिता ने अपने पति से दूरी बना ली है। पति – पत्नि के बीच वियोग का कारण जिस पुण्य सलिला ताप्ती नदी को बनाया गया है उस ताप्ती नदी पर पूल बनाने की मांग बरसो से हो रही है। गांव के लोग चुनाव बहिष्कार तक की घोषणा तक कर चुके लेकिन बोथी सिहार जैसे दर्जनो गांव के लोगो के आवागमन में रूकावट बनी ताप्ती नदी की जलधारा को बरसात एवं बिना बरसात के भी पार लगाना जान को खतरे में डालने के समान है। मुलतापी से निकलने वाली पुण्य सलिला मां सूर्यपुत्री ताप्ती नदी पर बारहलिंग के आसपास पुल नहीं होने से एक नहीं अनेक परिवारो को जीवन उपयोगी सामग्री के लिए लम्बी चौड़ी परिक्रमा लगानी पड़ती है। बीते सात महीने से मायके में रह रही अपनी पत्नि को लेने गए वापस खाली हाथ बैरंग लौटे पति का कहना है कि उसकी पत्नि ने ससुराल आने की एक ही शर्त रखी है कि जब तक ताप्ती नदी पर पुल नही बन जाता तब तक वह अपनी ससुराल नहीं लौटेगी..? मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के ग्रामीण अंचलों में आज भी ऐसे गांव हैं, जहां पहुंचने के लिए नदी नालो को डेचकी तुमड़ी कमर में बांध कर बहती जलधारा को पार करके जाना पड़ता है। विकासखंड बैतूल की ग्राम पंचायत सावंगा का सिहार गांव ताप्ती नदी के किनारे बसा हुआ है। ग्राम पंचायत सावंगा के सिहार गांव निवासी अनिल पाड़लीवार का विवाह शाहपुर जनपद की ग्राम पंचायत बीजादेही की सुमित्रा के संग हुआ था। सुमित्रा पति अनिल पाड़लीवार ने अपने पति का घर सिर्फ इसलिए साथ छोड़ दिया क्योकि उसे बहती ताप्ती नदी की जलधारा के बीच जान को जोखिम में डाल कर आना – जाना पड़ता है। ताप्ती नदी पर बारहलिंग के पास कोई पुल न होने की वजह से नदी पार करके जाना पड़ता है। श्रीमति सुमित्रा पति अनिल पाड़लीवार के अनुसार अब उस दिन अपनी ससुराल आएगी जिस दिन ताप्ती नदी पर पुल बन जाएगा। सुमित्रा सात महीने से अपने मायके में रह रही है। डेढ़ साल पहले ही उसका विवाह अनिल से हुआ था। अभी उनकी कोई संतान नहीं है।
चार महीने गांव का संपर्क टूट जाता है
ग्राम के सिहार के मंगल परमार बताते हैं बरसात में पूरे चार माह परेशानी होती है। उन्हें अगर राशन लेना है तो पहाड़ी से दो किलोमीटर चढऩे के बाद जंगल के रास्ते से दस किलोमीटर दूर सावंगा जाना पड़ता है। बरसात में किसी महिला को प्रसव के लिए बैतूल या सेहरा स्वस्थ केंद्र ले जाना हो तो जननी एक्सप्रेस पहाड़ी के दूसरी तरफ खड़ी रहती है और गर्भवती महिला को खाट पर लिटाकर पहाड़ी चढऩा होता है फिर दस किलोमीटर दूर सेहरा नहीं तो जिला मुख्यालय बैतूल जो कि इस गांव से लगभग पच्चीस किलोमीटर दूर है ले जाना पड़ता है। इसके कारण कई बार प्रसूता महिलाओं ने रास्ते में दम तोड़ दिया है। ग्रामीणों का कहना है अगर ताप्ती नदी पर पुल बन जाता है तो बैतूल और इस गांव की दूरी पंद्रह किलोमीटर होगी जो आसान और सुविधाजनक होगी।
सात साल से चुनरी यात्रा निकालने वाले …
बैतूल जिले की बीजादेही में रहने वाली सुमित्रा पति अनिल पाड़लीवार की जब सात साल पहले शादी हुई थी तब प्रदेश में भाजपा की सरकार थी लेकिन उसने और उसके परिवार ने बैतूल एवं घोड़ाडोंगरी में कांग्रेस को वोट देकर कांग्रेस की प्रदेश में सरकार बनवाई लेकिन पांच साल बीत गए बैतूल के विधायक ने ताप्ती नदी पर पूल – पुलिया तो दूर एक अच्छा सा घाट तक निमार्ण नहीं करवाया। बैतूल विधानसभा में दस साल तक पिता पुत्र विधायक रहे लेकिन दर्जनो ऐसे चिन्हीत स्थान है जहां पर ताप्ती नदी पर पूल का निमार्ण नहीं हो सका। आज भी लोग ताप्ती नदी की तेज बहती जलधारा में डेचकी – तुमड़ी कमर में बांध कर नदी को पार करते है। पांच साल तक विधायक रहे कांग्रेस के पूर्व विधायक ताप्ती के नाम पर बीते सात वर्षो में जितना पैसा खर्च कर चुके है उनसे बारहलिंग के पास एक रपटा कम पुलिया का निमार्ण हो सकता था जो अस्थायी रूप से लोगो के आवागमन को सुविधा प्रदान कर सकता था लेकिन ऐसा हो न सका। वर्तमान में भाजपा का शासन एवं भाजपा का विधायक है ऐसे में एक परिवार का पूरी तरह से बिखराव हो जाना कम चिता जनक नहीं है।