ब्रेन ट्यूमर : सही समय पर इलाज ही मूलमंत्र है
ब्रेन ट्यूमर्स रेयर ट्यूमर्स की श्रेणी में आते हैं। शरीर में सभी प्रकार के ट्यूमर्स के केवल २% ही ब्रेन ट्यूमर होते हैं। इसके बीमारी को लेकर काफ़ी भ्रांतियाँ हैं जिसकी वजह से इलाज संबंधित निर्णय लेने में पेशेंट और परिवारजनों को उलझन होती है। आज हम इससे जुड़े हुए कुछ तथ्य साँझा करेंगे।
जब मस्तिष्क के अंदर असामान्य रूप से कोशिकाएं बढ़ने लगती हैं तो उसे ब्रेन ट्यूमर कहते हैं | यह सभी उम्र में होते है।
अक्सर, यह माना जाता है कि सभी ब्रेन ट्यूमर्स कैंसर होते हैं। यह जानना महत्वपूर्ण है कि सिर्फ 60 फीसदी ट्यूमर ही कैंसर श्रेणी में आते हैं और ४०% बिनाइन या कैंसर नहीं होते हैं।
इसके सामान्य लक्षणों में ये शामिल हो सकते हैं:
• ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई, व्यवहार या व्यक्तित्व में बदलाव और याददाश में कमी होना।
- दृष्टि या सुनने की क्षमता को नुकसान। एक हाथ या पैर में कमजोरी या पैरालिसिस।
- तेज या लगातार सिरदर्द जो आम तौर पर सुबह के वक्त हो और कुछ ही समय से शुरू हुआ हो।
- पहली बार मिर्गी के दौरे आना, खासकर जो २५ साल की उम्र से ज़्यादा हों।
ट्यूमर के आकार और स्थान के आधार पर ये लक्षण अलग—अलग हो सकते हैं और दूसरी बीमारियों के लक्षणों से भी मिलते—जुलते हो सकते हैं। लिहाजा, ऐसी स्थिति का उचित प्रबंधन तथा सही निदान पाने के लिए किसी न्यूरो विशेषज्ञ से संपर्क करना जरूरी है। इलाज की पहल ट्यूमर के आकार—प्रकार और स्थान तथा मरीज की सामान्य सेहत पर निर्भर करती है।
न्यूरोसर्जिकल विशेषज्ञता ने पिछले 2 दशकों में महत्वपूर्ण प्रगति दिखाई है जिसके परिणामस्वरूप बेहतर परिणाम और कम जटिलताएं सामने आई हैं। ऑपरेशन से पहले, उन्नत एमआरआई तकनीक जैसे फंक्शनल एमआर, एमआर ट्रैक्टोग्राफी, एमआर स्पेक्ट्रोस्कोपी से सूक्ष्म और क्रिटिकल नसों की पहचान की जाती है जिससे सर्जरी के समय उनको नुक़सान होने की संभावना बहुत कम हो जाती है। ऑपरेशन के दौरान ट्यूमर का पता लगाने के लिए इंट्रा-ऑप इमेजिंग के लिए न्यूरो-नेविगेशन और सोनोग्राफी का इस्तमाल किया जाता है। अन्य नवीन उल्करण जैसे की हाई स्पीपीड ड्रिल (जिससे मस्तिष्क खोलने में कम समय लगता है), अल्ट्रासोनिक एस्पिरेटर (CUSA — इससे ट्यूमर को निकालने में आसानी होती है और स्वस्थ कोशिकाओं को नुक़सान नहीं होता है), न्यूरोसर्जिकल माइक्रोस्कोप (दूरबीन) इन सभी से ब्रेन ट्यूमर सर्जरी बहुत सुरक्षित हो गई है।
ब्रेन ट्यूमर के इलाज के लिए न्यूरो-ऑनकोलॉजी टीम में विभिन्न विशेषज्ञ, जिसमें न्यूरोसर्जन, रेडिएशन ऑन्कोलॉजी, मेडिकल ऑन्कोलॉजी तथा सहयोगी देखभाल जैसे फ़िज़ियोथेरेपी, साइकोलॉजिस्ट, काउंसलिंग शामिल हैं।
समय पर डायग्नोसिस और शुरुआती स्तर से ही देखभाल बीमारी के प्रभावी उपचार की कुंजी है। भय और ग़लतफ़हमियों के कारण, मरीज़ और देखभाल करने वाले, कभी-कभी उपचार में देरी करते हैं जिस वजह से मनचाहा परिणाम नहीं मिल पाता है। लोग अक्सर मानते हैं कि सर्जरी बहुत जोखिम भरी है और इससे कोमा, लकवा, स्मृति हानि या बिस्तर पकड़ लेने जैसी नौबत आ सकती है। उन्नत उपकरणों और सुरक्षित एनेस्थीसिया के साथ, सर्जरी अधिक सुरक्षित हो गई है। एक गलत धारणा यह भी है कि सर्जरी के बाद ट्यूमर तेजी से बढ़ता है। ट्यूमर का मस्तिष्क पर दबाव के प्रभाव को कम करने और ट्यूमर के प्रकार को निर्धारित करने के लिए सर्जरी आवश्यक होती है । यदि रेडियोथेरापी की सलाह दी गई है तो इसे समय पर लेना चाहिए। रेडियोथेरेपी की आधुनिक मशीनें सटीक तरीक़े से सिकाई करती हैं और आस पास कि नसों पर इसका असर नहीं या कम पड़ता है।
इलाज के बाद डॉक्टरों की सलाह के अनुसार नियमित फॉलो-अप और एमआरआई स्कैन महत्वपूर्ण है। ऐसा शुरुआती चरण में किसी भी पुनरावृत्ति (recurrence) के लक्षणों को पकड़ने के लिए किया जाता है ताकि आसानी से इस पर काबू पाया जा सके। ब्रेन ट्यूमर वाले मरीजों को अपने शहर में या ऑनलाइन सहायता समूह में शामिल होना चाहिए। इससे चिंता, असुरक्षा को कम करने, बेहतर निर्णय लेने में मदद मिलती है और उपचार प्रक्रिया आसान हो जाती है।
ब्रेन ट्यूमर स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। लिहाजा इसके चेतावनी भरे लक्षणों को पहचानें और सही समय पर डॉक्टर से संपर्क करें। यही इस स्थिति के प्रभावी तथा सफल प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण है।