Madhya Pradesh

मध्य प्रदेश: पिछोर तहसील में खाद की किल्लत, खाद समय पर ना मिलने की वजह से गेहूं की बुवाई 1 महीने लेट हो चुकी

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मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले के पिछोर तहसील में खाद की किल्लत से किसान परेशान हैं। IANS की टीम ने पहुंचकर किसानों से उनका हाल जानने का प्रयास किया। किसानों ने बताया कि गेहूं की बुवाई खाद समय पर ना मिलने की वजह से एक महीने लेट हो चुकी है। किसान खाद के लिए लंबी-लंबी कतारों में खड़े हुए हैं। किसानों को महज तीन बोरी दी जा रही हैं। किसानों ने बताया कि समय पर अगर खाद नहीं मिला तो उनके खेत सूख जाएंगे। साथ ही दोबारा से खेत में सिंचाई करने के बाद बुवाई करने में एक महीने का और समय लग जाएगा।

किसान जसवंत गोस्वामी का कहना है, “मैं मुरैनी गांव से आया हूं। खाद की किल्लत बनी हुई है। यहां कोई व्यवस्था नहीं है, हम लोग लाइन में लगे हुए है लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई है। हम लोग एक हफ्ते से हैरान हैं। मैं सुबह से कतार में लगा हूं और बहुत से किसान रात से ही लाइन में लगे हुए हैं। गेहूं की बुवाई में हम एक महीने लेट है। हम इसी उम्मीद से लाइन में लगे हुए हैं कि खाद मिल जाए।” खाद लेने के लिए एक कतार में खड़े मुरारी लाल लोधी ने बताया कि डीएपी की तीन बोरी खाद लेने के लिए वह तीन दिन से परेशान हैं। समय पर खाद न मिलने की वजह से एक महीने बुवाई लेट हो चुकी है। खेत सूखने की कगार पर हैं। यहां पर 500 लोगों की लाइन लगी हुई है। अभी यह नहीं कहा जा सकता की खाद मिल भी पाएगा या नहीं। भूखे प्यासे किसान अपनी बारी आने का इंतजार कर रहे हैं। कई किसान तो ऐसे हैं जो रात के समय दो बजे से यहां पर डेरा डाले हुए हैं। विमला नाम की महिला किसान ने बताया कि वह चार दिन से खाद के लिए परेशान है। ऐसी कई महिलाएं हैं, जो उनके साथ खाद लेने के लिए कतार में खड़ी हुई है। वह भी कई दिन से खाद न मिलने की वजह से परेशान है। गेहूं की बुवाई 15 से 20 दिन खाद नहीं मिलने की वजह से लेट हो चुकी है। ऐसे में हम लोगों को तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं, महिला किसान सरोज का कहना है कि बाजार से उनको खाद लेकर खेत की बुवाई करनी पड़ी जो महंगा मिला है। प्रशासन की कोई व्यवस्था नहीं है। भूख प्यास की वजह से किसान तड़प रहा है और खाद न मिलने से परेशान है। यहां व्यवस्थाओं का घोर अभाव है। पिछोर के तहसीलदार शिव शंकर गुर्जर ने कहा कि मैं सुबह से आ चुका हूं और महिलाओं और पुरुषों की अलग-अलग लाइन लगवाई गई है। जितना खाद आ रहा है, उतना बांटने का प्रयास किया जा रहा है। बुवाई के लिए किसान अभी लेट नहीं हुआ है।

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