आतंकवादी के परिजनों को नहीं मिलेगी सरकारी नौकरी
जम्मू कश्मीर में किसी आतंकवादी या पथराव करने वाले किसी व्यक्ति के परिजनों को सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी। गृह मंत्री अमित शाह ने सख्त संदेश देते हुए कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार ने न केवल आतंकवादियों को निशाना बनाया है, बल्कि आतंकी ढांचे को भी समाप्त कर दिया है जिससे देश में आतंकी घटनाओं में काफी कमी आई है। उन्होंने बीते सप्ताहांत में पीटीआई-भाषा को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘‘हमने कश्मीर में फैसला किया है कि अगर कोई किसी आतंकवादी संगठन से जुड़ जाता है तो उसके परिवार के सदस्यों को कोई सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी।” शाह ने यह भी कहा कि अगर कोई पथराव में शामिल रहता है तो उसके परिवार के सदस्यों को भी कोई सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी। उन्होंने कहा कि फैसले के खिलाफ मानवाधिकार कार्यकर्ता उच्चतम न्यायालय में गए थे, लेकिन अंतत: सरकार की जीत हुई। हालांकि, गृह मंत्री ने कहा कि सरकार ऐसे मामलों को अपवाद स्वरूप लेगी जब किसी परिवार से कोई व्यक्ति खुद आगे आकर अधिकारियों को सूचित करता है कि उसका कोई करीबी रिश्तेदार किसी आतंकवादी संगठन में शामिल हो गया है। उन्होंने कहा कि ऐसे परिवारों को राहत दी जाएगी। शाह ने कहा कि पहले कश्मीर में किसी आतंकी के मारे जाने के बाद जनाजा निकाला जाता था। उन्होंने कहा, ‘‘हमने यह परिपाटी बंद कर दी। हमने सुनिश्चित किया कि आतंकवादी को सभी धार्मिक रिवाजों के साथ सुपुर्दे खाक किया जाए लेकिन किसी निर्जन स्थान पर।”
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि जब कोई आतंकवादी सुरक्षा बलों से घिरा होता है तो पहले उसे आत्मसमर्पण का अवसर दिया जाता है। उन्होंने कहा, हम उसकी मां या पत्नी आदि किसी परिजन को बुलाते हैं और उनसे कहते हैं कि आतंकवादी से आत्मसमर्पण की अपील करें। अगर वह नहीं सुनता तो मारा जाता है। गृह मंत्री ने कहा कि जम्मू कश्मीर में आतंकवाद की घटनाओं में काफी गिरावट आई है क्योंकि सरकार ने न केवल आतंकवादियों को निशाना बनाया है बल्कि आतंकी ढांचे को भी नेस्तानाबूद कर दिया है। उन्होंने कहा, ‘‘हमने एनआईए के माध्यम से आतंकवाद के वित्तपोषण के खिलाफ मजबूत कार्रवाई की है और इसे समाप्त कर दिया है। हमने आतंकवाद के वित्तपोषण पर बहुत सख्त रुख अपनाया है।