अमावस्या का विशेष महत्व , मंगल आदित्य का रहेगा केंद्र योग
पंडित आयुष चौधरी
पंचांग की गणना के अनुसार मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या का विशेष महत्व होता है। इस बार अमावस्या मंगलवार के दिन आने से यह भौमवती अमावस्या के नाम से जानी जाएगी। 12 दिसंबर मंगलवार के दिन आने वाली यह अमावस्या इसलिए भी विशेष है, क्योंकि इस दिन अनुराधा नक्षत्र, ध्रती योग, चतुष्पद करण, वृश्चिक राशि के चंद्रमा की साक्षी में आ रही है यानी मंगलवार का दिन और चंद्र भी मंगल की राशि में होने का विशेष प्रभाव पड़ता है। इस दिन किए गए पितरों की निमित्त कार्य या मध्य रात्रि की देवी साधना विशेष लाभ प्रदान करती है।
मंगल आदित्य का रहेगा केंद्र योग
ज्योतिषाचार्य पंडित आयुष चौधरी का कहना है कि ग्रह गोचर की गणना से देखें तो वर्तमान में सूर्य और मंगल दोनों ही वृश्चिक राशि में गोचर कर रहे हैं। संयोग से अमावस्या के दिन सूर्य मंगल चंद्र तीनों का ही वृश्चिक राशि में परिभ्रमण करना और मंगल की विशिष्टता होने से यह विशेष रूप से कार्य की सिद्धि प्रदान करने में प्रबल माना जा रहा है। इस दौरान भगवान सूर्य का पूजन भी लाभ प्रदान करता है। वहीं मंगल ग्रह दुर्गा देवी की साधना से अनुकूल होता है। साथ ही हनुमान जी की साधना भी लाभकारी रहती है। इस दृष्टि से इस योग में इनकी संयुक्त साधना करने से अनुकूलता मिलती है।
पितरों की कृपा प्राप्त करने का खास दिन
अमावस्या तिथि के अधिपति पितृ देवता होते हैं, जिनके परिवार में पितृ दोष है या परिवार में अशांति है उन जातकों को पितृ शांति करनी चाहिए। यह शांति अमावस्या के दिन विशेष रूप से मानी जाती है। इस दौरान तीर्थ पर जाकर तर्पण और पिंडदान करना चाहिए और घर पर गाय, कौआ, श्वान, भिक्षुक को यथा श्रद्धा भोजन का दान करना चाहिए। धूप ध्यान के साथ में पितरों को स्मरण करना चाहिए। ऐसा करने से भी पितरों की कृपा प्राप्त होती है। बाधाएं निवृत्ति होती है।
इस दिन करें ये काम
ज्योतिषाचार्य पंडित आयुष चौधरी का कहना है कि इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने के बाद सूर्यदेव को अर्घ्य जरूर देना चाहिए। दान करना बेहद शुभ फलदायी माना जाता है। इस दिन सात्विक आहार खाएं।
जिसकी कुंडली में मंगल दोष , अंगारक योग है वो इस दिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक कर लाभ ले सकते है